अलीगढ़। सत्रह साल तक हत्या का कलंक सर पर लेकर शहर के दो प्रतिष्ठित हिंदूवादी कार्यकर्ता प्रदेश उपाध्यक्ष हिंदू महासभा गजेंद्र पाल सिंह आर्य और पूर्व प्रदेश महासचिव हिंदू महासभा सोनू वशिष्ठ अदालत के चक्कर लगाते रहे तारीख पर तारीख होती रही। अंत में सबूत और गवाहों के अभाव में कोर्ट ने दोनों को बा इज्जत बरी कर दिया।
यह हाल था उस समय की समाजवादी पार्टी सरकार का बिना किसी सबूत और गवाह के दंगे में मरे हुए एक मुस्लिम लड़के की हत्या में दो सम्मानित व्यक्तियों को जेल भेजकर नामित कर दिया। 17 साल बाद बरी हुए कानून पर फिर वही सवाल उठता है कि 17 साल की मानसिक प्रताड़ना का मुआवजा कौन सी अदालत देगी। जेल भी गए और जमानत भी हुई समाज में गुनहगार की दृष्टि से देखे जाते रहे। क्या वह सम्मान अदालत वापस दिलवाएगी?
हिंदू महासभा कार्यालय पर दोनों पदाधिकारी का राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक कुमार पाण्डेय व महानगर अध्यक्ष सचिन शर्मा ने माला व भगवा पटका पहनाकर स्वागत किया और मिठाई खिलाई। इस दौरान दिनेश शर्मा, राजीव भोला, हरिशंकर शर्मा, अनिल वर्मा आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
