पहले पूजा अर्चना फिर बरसाए पत्थर 245 से ज्यादा घायल

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छिंदवाड़ा। जिले के पाढुर्णा में शुक्रवार को विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेला तेज बारिश के बीच खेला गया। इस मेले में पत्थरबाजी में दोनों पक्षों से लगभग २४५ से ज्यादा लोग घायल हुए, जबकि गंभीर रूप से घायल होने पर आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को नागपुर रेफर किया गया। गौरतलब है कि प्रतिवर्ष पोला पर्व के दूसरे दिन पाढुंर्णा और सांवरगांव के बीच गोटमार मेला आयोजित होता है। जिसमे दोनो पक्ष चंडी माँ की पूंजा अर्चना करने के बाद जाम नदी में पलाश के पेड़ का झंड़ा लगाकर इसे तोडऩे के लिए पत्थरबाजी करते हैं। लगभग ४०० सालों से यह परम्परा जारी है। इस खूनी खेल में अब तक कई लोगों की जान भी जा चुकी है। किवदंती है कि वर्षों पहले पांढुर्णा का युवक सावरगांव की युवती को भगा ले गया था। दोनों जैसे ही जाम नदी पर पहुंचे, तो युवती के परिवार सावरगांव वालों ने युवक पर पत्थरों की बौछार कर दी। जैसे ही, युवक पक्ष को खबर लगी, तो उन्होंने भी बचाव के लिए पत्थर बरसाए। इस पत्थरबाजी में जाम नदी के बीच दोनों की मौत हो गई थी। गांववालों ने उनके शव को मां चंडिका के दरबार में ले जाकर रखा। पूजा-अर्चन के बाद अंतिम संस्कार किया गया। इसी घटना की याद में मां चंडिका की पूजा-अर्चना कर प्रायश्चित स्वरूप एक-दूसरे को पत्थर मारकर गोटमार मेला मनाते हैं। अब तक १४ से अधिक की मौत जाम नदी के संगम पर वर्षों पुरानी परंपरा चली आ रही है। इस परंपरा में अब तक 14 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। इस बार निश्चित दायरे में रहकर ही गोटमार खेला गया है। मेले के दौरान अवैध शराब बिक्री, गाली-गलौज, मारपीट करने वालों पर केस दर्ज किया जाएगा। बारिश के चलते जाम नदी का जलस्तर बढ़ गया है। मौके पर एसडीईआरएफ की टीम को भी बुलाया गया है। मौके पर कलेक्टर मनोज कुमार पुष्प और एसपी विनायक वर्मा के अलावा अन्य अफसर भी वहां मौजूद रहे। मेला स्थल और शहरभर में पुलिस बल तैनात किया गया। पांढुर्णा में धारा 144 लागू की गई है। हथियारों के प्रदर्शन पर भी प्रतिबंध लगाया है। मेला स्थल पर दो एएसपी, 7 एसडीओपी, 10 थाना प्रभारी, 30 एसआई, 50 एएसआई और करीब 500 एसएएफ, होमगार्ड, वन विभाग, जिला पुलिस बल के जवान तैनात रहे। एम्बुलेंस और डॉक्टरों की टीम रही तैनात मौके पर 10 एम्बुलेंस के साथ डॉक्टरों की टीम मौजूद रही। खनिज विभाग ने पत्थरों के अवैध परिवहन पर रोक लगाई है। इसके बावजूद नदी किनारे पत्थर पहुंचाए गए। लोगों ने रात को ट्रैक्टर-ट्रॉली से पत्थर पहुंचाएं। नदी में पानी होने के कारण इस बार तैराक भी तैनात किए गए थे। मेले को लेकर प्रशासन ने चाक चौबंद व्यवस्था की थी। ड्रोन कैमरे से मेले की निगरानी होती रही।

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