बीजिंग। दक्षिण चीन सागर पर हक जताने से लेकर कई देशों के साथ सीमा विवाद में उलझा चीन अगल-थलग होता दिख रहा है। आसियान समिट में चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ने जो कहा, उसके यही मायने निकाले रहे हैं। ली कियांग ने आसियान समिट में कहा कि दुनिया को शीत युद्ध से बचना चाहिए और किसी भी तरह की गुटबाजी या क्षेत्रीय स्तर पर प्रतिद्वंद्विता से बचना चाहिए। इंडोनेशिया में जुटे आसियान और जापान, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और भारत के नेताओं की समिट में चीन ने कहा कि मौजूदा स्थिति में यह बहुत जरूरी है कि किसी ब्लॉक में जाने से बचा जाए।
चीनी प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्लॉक बनाने और किसी के पक्ष या विपक्ष में एकजुट होने से बचना चाहिए। बल्कि इसके बदले सही ढंग से अपने मतभेदों और विवादों को सुलझाना चाहिए। माना जा रहा है कि चीन का यह बयान दक्षिण चीन सागर के मामले में जापान और अमेरिका सहित कई बड़ी शक्तियां एकजुटता देखने को मिली है। दरअसल हाल ही में चीन ने जो नक्शा जारी किया था, इस लेकर भारत, जापान, फिलीपींस सहित 6 देशों ने नाराजगी जाहिर की थी। माना जा रहा है कि चीन दो मोर्चों पर इस एकजुटता के बीच खुद को फंसा देख रहा है।
जहां ताइवान मामले में चीन को ब्रिटेन और अमेरिका से कड़ी चुनौती मिली है। हाल ही में ब्रिटिश सरकार ने ताइवान को मान्यता दी है, जिससे चीन की टेंशन बढ़ गई है।इसके पहले अमेरिकी नेताओं के ताइवान दौरों से भी वह परेशान रहा है। बता दें कि ताइवान को वह वन चाइना पॉलिसी के तहत अपना हिस्सा बताता रहा है। बता दें कि आसियान समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और शी जिनपिंग हिस्सा नहीं ले रहे हैं। बाइडेन की जगह पर अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस पहुंची हैं।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने मीटिंग में भी चीन की चुनौती बढ़ा दी। उन्होंने आसियान देशों से कहा कि अमेरिका आप लोगों के साथ है। उन्होंने कहा कि अमेरिका इंडो पैसिफिक और दक्षिण पूर्व एशिया में आप लोगों के साथ काम करने को तत्पर है।
