श्री वार्ष्णेय मंदिर में श्री कृष्ण के जन्म के साथ राधे राधे की गूंज

श्री वार्ष्णेय मंदिर में श्री कृष्ण के जन्म के साथ राधे राधे की गूंज

अलीगढ़ उत्तर प्रदेश

अलीगढ़। श्री वार्ष्णेय मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व धार्मिक आस्था और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मंदिर में भक्तों की इतनी भीड़ उमड़ पड़ी की व्यवस्था में सहयोग कर रहे कार्यकर्ताओं के पसीने छूट गए।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 10 बजे दुग्धाभिषेक कार्यक्रम से हुआ। पंडित मनोज मिश्रा व पंडित महेश बृह्मचारी ने वैदिक रीति से मंत्रोच्चार के मध्य दूध, दही, शहद, गंगाजल व इत्रादि से लड्डू गोपाल जी का दुग्धाभिषेक कराया। सम्पूर्ण मंदिर प्रांगण को सतरंगी लाइटों से दुल्हन की तरह सजाया गया। फूल बंगले में महकते वातावरण में पालने में झूलते आकर्षण का केंद्र खुद बाल रुप में लड्डू गोपाल जी रहे। भक्तों में तो पालना झुलाने की होड़ ही लगी रही। मंदिर परिसर में लगी चंद्रयान की झाँकी के साथ आदित्य एल वन, द्वादश ज्योतिर्लिंग के साक्षात् दर्शन, गौशाला में गौमाता के साथ भगवान श्री कृष्ण की जीवंत झाँकी, हिमालय पर्वत पर महाकाल की झाँकी के साथ साथ अन्य कई जीवंत झाँकियाँ भी अपनी छटा बिखेर रही थीं।
मंदिर प्रवक्ता भुवनेश वार्ष्णेय ने बताया कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर फूल बंगला के मध्य जब ठाकुर ने आकर्षक परिधानों में भक्तों को दर्शन दिए तो भक्त तो मानो पागल हो उठे। भाव विह्वल होकर राधे नाम का गुण गान करने लगे। रात्रि में 12 बजे श्री कृष्ण के जन्म के समय दुग्धभिषेक हुआ। तदुपरांत वासुदेव बने मंदिर व्यवस्थापक राधेश्याम गुप्ता वासुदेव कान्हा जी को सूप में रखकर यमुना पार कर नंदबाबा के यहाँ छोड़कर आये। इस लीला को देखने दूर दूर से भक्त श्री वार्ष्णेय मंदिर पहुंचे।

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