नेत्रदान के बाद भी अदृश्य रूप से जीवित रहेंगे बहादुर

अलीगढ़

अलीगढ़। कुछ वाक्य ऐसे होते हैं जो उदाहरण बन जाते हैं और हमेशा याद रहते हैं। ऐसा ही उदाहरण आज प्रस्तुत हुआ है। विकलांग बहादुर प्रसाद के परिजनों ने अपना दिल मजबूत कर बहादुर प्रसाद की मृत्यु उपरांत नेत्रदान देहदान कर्तव्य संस्था के सहयोग से कराया है, जो अपने महानगर ही नहीं पूरे देश के लिए नजीर बन गया है।
देहदान कर्तव्य संस्था के अध्यक्ष डॉ. एसके गौड़ की अध्यक्षता में अथक प्रयासों से शक्ति नगर निवासी दिव्यांग व्यक्ति 43 वर्षीय बहादुर प्रसाद का पहले ना बाद में हाँ होने पर सौहार्दपूर्ण वातावरण में सफलतापूर्वक नेत्रदान हो गया। डॉ. एसके गौड़ ने कहा कि लोगों की मिथ्या धारणाओं को दरकिनार कर लीक से हट रूढ़िवादिता को त्याग उनकी पत्नी बिंदु के प्रण से सम्भव हो पाया। उन्होंने समाज की नकारात्मक सोच से ऊपर मानवीयता को श्रेष्ठ माना। उन्होंने आह्वान किया कि नेत्रदान के बाद भी बहादुर अदृश्य रूप से दो लोगों के रूप में जीवित रहेंगे। सचिव डॉ. जयंत शर्मा ने कहा कि इसमें अपना कुछ नहीं खोता, बस थोड़े प्रयास से दो लोगों की जिंदगी रोशन हो जाती है।
जेएन मैडिकल कॉलेज नेत्र विभाग की टीम प्रो. एके अमिताव, जिया सिद्दीकी, डॉ. मुहम्मद शाकिब, डॉ. अमारा फरहत, डॉ. सुमामा, डॉ. ललित, मुहम्मद साबिर, फरहान, शमीम का सहयोगी व्यवहार रहा।

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