मंगलायतन विश्वविद्यालय को एक और बड़ी उपलब्धि

अलीगढ़
  • यूजीसी से दूरस्थ शिक्षा को मिली मान्यता

अलीगढ़। मंगलायतन विश्वविद्यालय के साथ उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक और नवाचार जुड़ गया है। इसी सत्र में ऑनलाइन शिक्षा के साथ ही अब विश्वविद्यालय अनुदान आयोजन (यूजीसी) से दूरस्थ शिक्षा (डिस्टेंस एजुकेशन) की मान्यता मिलना बड़ी उपलब्धी है। विशेषज्ञ पैनल प्रबंधन के दृष्टिकोण में मानदंडों पर खरा उतरने पर विश्वविद्यालय को अनुमति प्रदान की गई है। यहां दूरस्थ शिक्षा में नौ पाठ्यक्रम संचालित किए जाएंगे। जिनमें स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शामिल हैं। जो लोग जॉब के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए यह सुनहरा अवसर होगा। इस संबंध में विश्वविद्यालय की ओर से प्रेस वार्ता का आयोजन अलीगढ़ के होटल रूबी में किया गया।
विश्वविद्यालय के ऑनलाइन एवं मुक्त दूरस्थ शिक्षा केंद्र के निदेशक प्रो. मसूद परवेज ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि नए सत्र में विश्वविद्यालय में दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम संचालन के लिए यूजीसी से मान्यता मिल गई है। यूजीसी द्वारा निर्देशित सभी प्रक्रियाओं और मापदंडों पर विश्वविद्यालय खरा उतरा है। हमें नौ पाठ्यक्रमों को संचालित करने की मान्यता प्रदान की गई है, जिनमें बीकॉम, बीए, एमबीए, एमकॉम, एमएससी गणित, एमए अंग्रेजी, एमए इतिहास, एमए राजनीति विज्ञान, एमए समाजशास्त्र पाठ्यक्रम शामिल हैं। इसकी जानकारी यूजीसी की वेबसाइट पर भी देखी जा सकती है। वेबसाइट पर मान्यता और पाठ्यक्रम की सूची उपलब्ध है। विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर शिक्षार्थी ऑनलाइन फार्म भरकर प्रवेश ले सकते हैं। यूजीसी से दूरस्थ शिक्षा में प्राप्त स्नातक एवं स्नातकोत्तर डिग्रियों को पारंपरिक डिग्रियों के समान ही मान्यता प्राप्त है। विद्यार्थियों को विषय विशेषज्ञों द्वारा तैयार पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी, वहीं प्रत्येक रविवार को ऑफलाइन व ऑनलाइन दोनों मोड में कक्षाएं संचालित होंगी।
पत्रकारों से वार्ता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने कहा कि विवि दूरस्थ शिक्षा में सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग कर अंतिम छोर में रहने वाले विद्यार्थियों तक गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा पहुंचाने के लिए भी संकल्पित है। वर्तमान युग में शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव हो रहे हैं, जिसमें दूरस्थ शिक्षा विद्यार्थियों को कौशल और नौकरी के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसके माध्यम से वे सभी वंचित लोग जो किसी कारणवश उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाए उनके लिए सर्वोत्तम शिक्षण संसाधन उपलब्ध होंगे।
कुलसचिव बिग्रेडियरसमरवीर सिंह ने बताया कि वर्ष 2006 में विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से ही हम उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। जो लोग नौकरी करते हैं या दूर पढ़ाई करने नहीं जा सकते हैं, उनके लिए डिस्टेंस एजुकेशन बेहतर विकल्प है। राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) से ए प्लस ग्रेड मिलने के बाद एक और उपलब्धि मिली है। विवि को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार से जैन अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा प्राप्त है। इस दौरान वित्त सलाहकार अतुल गुप्ता, योगेश कौशिक, डा. सोनी सिंह व लव मित्तल आदि उपस्थित रहे।

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